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Showing posts with the label ओपिनियन | दैनिक भास्करShow all
चेतन भगत का कॉलम:महामारी से सबक लेकर हमें खुद को बदलने की जरूरत है; किसी को शर्मिंदा करने की बजाय बेहतरी के लिए बदलाव करें
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:बाहरी स्थितियों से अधिक संचालित न होते हुए योग के माध्यम से अपने भीतर काम करें
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नवनीत गुर्जर का कॉलम:कोरोना से पहले के, समय के उतारे दिन अब भी टंगे हैं किसी रस्सी पर; न पुराने हुए, न उनका रंग उतरा
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प्रीतीश नंदी का कॉलम:कैदियों को कोरोना से मरने के लिए न छोड़ा जाए, यह देश की जेलों में सुधार लाने का बहुत अच्छा समय है
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जयप्रकाश चौकसे का कॉलम:प्रार्थना करने वाले की आस्था ही उसकी पीड़ा को हर सकती है, रात भर का मेहमान है अंधेरा
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एन. रघुरामन का कॉलम:स्टाफ की कमी संभालने के लिए हमें इजरायल की तरह अपनी उदारता व्यक्त करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में देखने की जरूरत है
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योगेन्द्र यादव का कॉलम:क्या उत्तर प्रदेश स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी मानव निर्मित त्रासदी से गुजर रहा है?
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मदन सबनवीस का कॉलम:लॉकडाउन-2 देश के उद्योगों पर क्या असर डाल सकता है?
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मुकेश माथुर का कॉलम:अभी-अभी हमें याद आया कि हमारा मुद्दा ‘जिंदा रहना’ भी है
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एन. रघुरामन का कॉलम:तीसरी लहर गरीब आबादी के असुरक्षित बच्चों को बड़ा नुकसान पहुंचाए, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसके लिए कुछ करें
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जयप्रकाश चौकसे का कॉलम:सीने में जलन, आंखों में तूफ़ान सा क्यों है, इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:स्वास्थ्य की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है, सावधानी से शरीर को बचाएं और मौत व स्वास्थ्य के अंतर को समझें
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शेखर गुप्ता का कॉलम:नदी में तैरते शव घातक क्षेत्रीय असंतुलन की ओर इशारा करते हैं, इनकी तस्वीरें महामारी की याद दिलाती रहेंगी
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मनीष अग्रवाल का कॉलम:नए मेट्रो रेल प्रोजेक्ट समय, लागत और सुविधा के समीकरण पर बनें, इससे शहर के विकास पर भी असर पड़ेगा
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जयप्रकाश चौकसे का कॉलम:अंधेरे की चादर फैली हो, तो तारे नजर नहीं आते, परंतु जुगनू चमकते हैं
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एन. रघुरामन का कॉलम:बतौर मानव जाति, गरीब से अमीर तक, बुद्धिमान से शिक्षित तक, सभी मदद शब्द को नए मायने दे रहे हैं
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प्रभु चावला का कॉलम:प्रधानमंत्री के नाम खुला खत- सात साल बाद ब्रांड मोदी ऑक्सीजन पर, आपकी टीम ही इसे खत्म करने में लगी है
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एन. रघुरामन का कॉलम:महामारी इंसानों को परिस्थितियों का समाधान खोजने से हमें नहीं रोक सकती; समस्याओं के बीच इंसान आगे बढ़ रहा है
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जयप्रकाश चौकसे का कॉलम:रचना संसार का अंतरिक्ष विराट, मनुष्य की उड़ान की भी कोई सीमा नहीं
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बीके शिवानी का कॉलम:वर्तमान कर्मों पर ध्यान दें; आज बेहतर होगा, तो कल बेहतर होगा
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